Wednesday, November 12, 2008

प्यार के बिना तो ये जिंदगी बेकार होता हे...

क्या समझाऊ तुम्हे के तुम्हे प्यार हे कितना,
किउन मनाऊं तुम्हे जो तुम्हे हे फिर रूठना,
गुलाव किउन तोडून जो कांटे सरे हे चुवना,
किउन के ये मौसम हे सुहाना ये समां भी सुहाना!

तेरी खुसुबू अब हवाओं में महक ने लगी हे,
तेरी मुस्कुर्हट इन घटाओं में उड़ने लगी हे,
तेरी पलकों पे मेरी जानत नजर आती हे,
लगता हे जेसे में चल रहा हूँ ये रस्ता खड़ी हे!

फिर एक बार नीदों में ख्वाब सजने लगे हे,
फिर एक बार यादों में तुम आने लगी हे,
ये हवा फिर से एक बार बहने लगी हे,
जेसे चाँदनी के इंतजार में चंदा खड़ी हो!

होता हे इसे जब किसीको प्यार होता हे,
प्यार के बिना तो ये जिंदगी बेकार होता हे!

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1 Comments:

Blogger manjusha said...

han thats true...n unavoidable truth in this world.....good comparisions... pyar ko itna geheraio se jana hai to kitna karib se jana hoga apne? ajkal ki duniya men to sachi pyar naseeb baloki hi milta hai agar koi apki writting ko lekar khos hote hai to eise hi pyab ke phool bikhar te jaiyeee...........

November 17, 2008 at 4:15 AM  

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