Monday, November 10, 2008

वो कब आयेगी...

इक उमीद सी जगी हे बरसो बाद,
जेसे सावन फ़िर बरस ने बाली हे,
जेसे बादल फिर गरज ने बाली हे,
इक बार तू मुझे रही हे याद!

कई साल बीत गए हे पता नहीं,
अनगिनत सावन बरस छूके हे,
नजाने कितने बाहार खिल छुकी हे
सिर्फ़ तेरे सिबा कुछ भी पता नहीं!

सुबह को सूरज दिखती हे,
रात को चाँद नजर आता हे,
एक बद्दुआ बन गई जिंदगी मेरी,
सिर्फ़ तेरी इबादत नजर आता हे,

सुनी सी सड़क पे में खड़ा अकेला,
तेरे इंतजार में की कब तू आयेगी,
पल नहीं सालों तक तेरे आस में,
एक बार तू कहदे मुझे "में आउंगी"!

तेरे प्यार मेरे किस्मत में नहीं हे,
ये मेरी बदकिस्मती नहीं तो और क्या
सुकून मिलती मेरे दिल को तब,
जब तेरी नफरत मुझे तडपाती हे!

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